वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है, जिससे उनका मुंह ईशान कोण व पैर नैऋत्य कोण की ओर होते हैं! उनकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण की ओर मुड़ी हुई रहती है! देवताओं से युद्ध के समय एक राक्षस को देवताओं ने परास्त कर भूमि में गाड़ दिया व स्वयं उसके शरीर पर खड़े रहे! मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा से प्रार्थना किए जाने पर इस असुर को पूजा का अधिकार मिला! ब्रह्मा ने वरदान दिया कि निर्माण तभी सफल होंगे जब वास्तु पुरुष मंडल का सम्मान करते हुए निर्माण किए जाएं! इनमें वास्तु पुरुष के अतिरिक्त 45 अन्य देवता भी शामिल हैं! अतिरिक्त 45 देवताओं में 32 तो बाहरी और भूखंड की परिधि पर ही विराजमान हैं व शेष 13 भूखंड के अन्दर हैं!
क्या है वास्तुपुरुष? – kya hai vastu purush? – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra