vaastu mein kabaadakhaane ka mahatv

वास्तु में कबाड़खाने का महत्व – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaastu mein kabaadakhaane ka mahatv – vedic vastu shastra

वास्तु विज्ञान मनुष्य के चिरकालीन अनुभव का परिणाम है! यदि इसके सिद्धांतों का ठीक-ठीक पालन किया जाए तो निश्चित और तत्काल परिणाम मिलते हैं!
विभिन्न वास्तु ग्रंथों में जीवन सुखी व समृद्ध बनाने के लिये घर के हर सदस्य को शयनकक्ष, भंडार, पूजा स्थल, भोजन कक्ष, मेहमान कक्ष, रसोई, शौचालय, नौकरों का कमरा, बैठक तथा अध्ययन कक्ष आदि हर कमरे के बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं! जैसा कि कबाड़खाना शब्द से ही विदित है कि कबाड़ केवल अनुपयोगी वस्तुएं ही होती हैं, क्योंकि यदि वे किसी काम की होंगी तो उन्हें कबाड़ नहीं कहा जा सकता!
हिंदू शास्त्रों में भी कबाड़ को घर में एकत्र करना अनुचित माना जाता है! इसलिए कार्तिक मास में अमावस्या (दीपावली) से पहले की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है! इसी दिन पूरे वर्ष का कबाड़ निकाल कर घर को साफ करने का विधान है और ऐसा करना शुभ माना जाता है! अक्सर लोग घर में कबाड़ न रखकर उसे घर की छत, छज्जे, मम्टी, टाड आदि पर जमा कर देते हैं! ऐसा करने से मानसिक तनाव और परिवार के सदस्यों के बीच आपस में अकारण तनाव उत्पन्न हो जाता है!
शास्त्रानुसार घर में जगह-जगह अनुपयोगी सामान जैसे खराब घड़ियां, टेलीविजन, मिक्सी, टेपरिकार्डर आदि रखने से उन्नति में बाधा और मानसिक चिंताएं उत्पन्न होती हैं! इसलिए घर में किसी भी प्रकार का कबाड़ एकत्रित न करें! जहां साफ सफाई नहीं होती वहां भगवान का वास भी नहीं होता! अब प्रश्न यह उठता है कि घर में कम इस्तेमाल होने वाले सामान को कहां और कैसे रखा जाए?
इस प्रकार के सामान के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त है! पृथ्वी जब सूर्य की परिक्रमा दक्षिणी दिशा में करती है तो वह एक विशेष कोणीय स्थिति में रहती है! ऐसे में इस ओर से अधिक भार रखने से संतुलन आता है! इस क्षेत्र के कमरों में या भवन के इस भाग में गर्मियों में ठण्डक एवं सर्दियों में गर्मी रहती है! यहां आवश्यकतानुसार छोटे कमरे में इस प्रकार का सारा सामान तरतीब से रखा जाए! ऐसा न प्रतीत हो कि सामान जबरदस्ती ठूंसा गया है!
विशेषकर अपने शयन कक्ष में किसी भी प्रकार का भारी व अनुपयोगी सामान न रखें! भण्डार कक्ष दक्षिण या पश्चिम क्षेत्र में भी बनाया जा सकता है! उसमें शेल्फ तथा सामान रखने हेतु अल्मारियां व टाड दक्षिणी व पश्चिमी दीवारों पर बनानी चाहिए! उत्तर व पूर्व की दीवारों में अल्मारियां (दीवार के अंदर) बनवाई जा सकती हैं लेकिन उनमें अपेक्षाकृत हल्का सामान रखा जाए! अगर प्लाॅट का आकार कम हो, भण्डार कक्ष की जगह नहीं निकल पा रही हो तब दक्षिणी या पश्चिमी दीवार के साथ-साथ छत की ऊंचाई तक आवश्यकतानुसार अल्मारियां बनवाई जा सकती हैं! इनकी गहराई 2 फुट या 2.5 फुट तक रखी जा सकती है! इस गहराई को विपरीत दिशाओं में भी आवश्यकतानुसार (दोनों ओर) काम में लाया जा सकता है! इसका उपयोग वस्त्र, घरेलू सामान और भारी सामान रखने में किया जा सकता है!

वास्तु में कबाड़खाने का महत्व – vaastu mein kabaadakhaane ka mahatv – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra

 

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