vaastushaastr mukhy saiddhaantik baaten

वास्तुशास्त्र मुख्य सैद्धांतिक बातें – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaastushaastr mukhy saiddhaantik baaten – vedic vastu shastra

घर का मुख्य द्वार किसी अन्य के घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं !
घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं और आंगन का कुछ भाग मिट्टी वाला भी रखें !
ईशान कोण किसी भी मकान का मुख कहलाता है ! अतः इस कोण को सदैव पवित्र रखना चाहिए !
रसोई घर मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं ! ऐसा होने से अतिथियों का आवागमन होता रहता है !
पूजागृह, शौचालय व रसोईघर पास-पास न बनवाएं !
विद्युत उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें !
घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई न रखें ! इनमें दरिद्रता का वास होता है ! रात्रि में बर्तन झूठे न रखें !
दर्पण, वास बेसिन व नल ईशान कोण में रखें ! सैप्टिक टैंक वायव्य कोण या आग्नेय कोण में रखें !
किसी भी मकान में दरवाजे व खिड़कियां ग्राउण्ड फ्लोर में ही अधिक रखें ! उसके बाद प्रथम, द्वितीय मंजिलों में कम करते जाएं !
बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर या पूर्व होती है ! यदि बच्चे इन दिशाओं की ओर मुंह करके अध्ययन करें तो स्मृति बनी रहती है
घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें ! इससे कीटाणु पैदा नहीं होंगे !
कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें ! इससे देह पीड़ा (खासकर सिर दर्द) होती है !
जल निकास उत्तर-पूर्व में रखें !
यदि घर में घड़ियां हैं और वे ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें ! घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को तेज या मंदा करती है !
पूजागृह व शौचालय सीढ़ियों के नीचे न बनाएं !
वास्तुदोष निवारण का अतिसुगम उपाय यह है कि घर में श्रीरामचरित-मानस के नौ पाठ अखंड रूप से करवाएं !
शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है ! उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है !
पूर्व की ओर सिरहाना रखने से विद्या, दक्षिण की ओर रखने से धन व आयु की बढोत्तरी होती है ! उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है !
अन्‍नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरू स्थल व पूजागृह जहां हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनाएं ! यदि वहां शयनकक्ष होगा तो धन-संपदा का नाश हो जाएगा !
सवेरे पूर्व दिशा में व रात्रि में पश्‍चिम दिशा में मल-मूत्र विसर्जन करने से आधीसीसी का रोग होता है !
घर में बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए ! यदि मूर्ति रखनी है तो वह एक बित्ते जितनी ही होनी चाहिए ! अर्थात बारह अंगुल जितनी बड़ी हो !
घर के पूजन कक्ष में किसी भी देवता की एक से अधिक मूर्ति न रखें !
पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्‍चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है !
घर में सात्त्विक प्रवृत्ति के पक्षियों के जोड़े वाला चित्र रखें ! इससे परिवार का वातावरण माधुर्यपूर्ण रहेगा !
घर के मुख्य द्वार पर नीबू या संतरे का पौधा लगाएं ! ये पौधे संपदा बढ़ाने वाले होते हैं !
घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्‍कों वाला धात्विक कटोरा अर्थात्‌ धातु का कटोरा रखें * और उसमें ऐसे सिक्‍के जो मार्ग में पड़े मिले हों डालते जाएं ! ऐसा करने से घर में आकस्मिक रूप से धनागम होने लगेगा !
घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर पौधे लगाएं !
परिवार के सदस्यों में माधुर्य भाव बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों का एक हंसमुख सामूहिक चित्र ड्राइंगरूम में लगाना चाहिए !
घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें ! खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए ! इससे अन्‍न व धन की हानि होती है ! रात्रि में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों को भय नहीं रहता !
पति-पत्‍नी में माधुर्य संबंधों के लिए शयनकक्ष के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्‍चिम) में प्रेम व्यवहर करते पक्षियों का जोड़ा रखना चाहिए !
शौच से निवृत्त होने के बाद शौचालय का द्वार बंद कर दें ! यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है !
दिन में एक समय परिवार के सभी सदस्यों को एकसाथ भोजन करना चाहिए ! इससे परस्पर संबंधों में प्रगाढ़ता आती है !

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