* घर का वायव्य कोण का सुधार करें।
* सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें।
* शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
* तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।
* कुत्ते और कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
* चींटियों को प्रतिदिन खाना खिलाएं।
* छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
* दांत और आंत सदा साफ रखें।
* अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। उनकी सहायता करते रहें।
* धर्म, साधु-संत और मंदिर की दान-सेवा करें।
* शनि के मंदे कार्य न करें।
* प्रत्येक शनिवार के दिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके 3 परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
* शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
* मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें
नोट : उपरोक्त में से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं। कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।