कुलिक कालसर्प योग
● योग: यदि जातक के जन्मांग के द्वितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो यह कुलिक काल सर्प योग होता है.
● प्रभाव: इस वजह से जातक गुप्त रोग से जूझता रहता है. इनके शत्रु भी अधिक होते हैं परिवार में परेशानी रहती है और वाणी में कटुता रहती है.
● उपाय: कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें.
चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें.