कुंडली में जब राहू दसवें घर में और केतु चौथे घर में और बाकि सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो घटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! घटक कालसर्प जातक के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है, जातक हमेशा व्यवसाय और नौकरी की परेशानियों से जूझता रहता है, यदि वह नौकरी करता है तो उसके सम्बन्ध उच्च अधिकारीयों से ठीक नहीं बनते, तरक्की नहीं होती, कई कई वर्षों तक एक ही पद पर कार्यरत रहना पड़ता है ! और इसीलिए किसी भी काम से शंतुष्टि नहीं होती, और बार बार व्यवसाय या नौकरी बदलनी पड़ती है ! इस कालसर्प का माता पिता की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है और किसी कारण से जातक को उनसे पृथक होकर रहना पड़ता है !
यह योग जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है उसे सबसे ज्यादा परेशानी आजीविका में उठानी पड़ती है। चुंकि, घटक कालसर्प दोष में अशुभ फलदायी ग्रह का निवास दशम भाव में होता है अत: व्यक्ति नौकरी में हो अथवा व्यवसाय करता हो उसके कार्यों में स्थायित्व की कमी रहती है यानी नौकरी करने वाले व्यक्ति को बार-बार नौकरी बदलनी पड़ती है तथा व्यवसाय करने वाला अपने व्यवसाय में बार-बार परिवर्तन करता रहता है। मान-प्रतिष्ठा में कमी की संभावना बनी रहती है इसलिए इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को शांति एवं समझदारी से काम लेना चाहिए।
सुख स्थान में बैठा केतु व्यक्ति के जीवन में सुख की कमी करता है। परिवार के सदस्य से सही ताल-मेल नहीं होने के कारण घर में अशांति बनी रहती है। माता से व्यक्ति का मनमुटाव हो सकता है। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी की नाराजगी एवं उनसे सहयोग की कमी के कारण व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है। इन स्थितियों में व्यक्ति का मन वैराग्य की ओर प्रेरित होता है।
घटक कालसर्प दोष जन्मपत्री में है तो व्यक्ति को इससे घबराना नहीं चाहिए। ज्योतिशास्त्र कहता है कि जन्मपत्री में किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव है तो उसे दूर करने के उपाय भी ज्योतिषशास्त्र में मौजूद है। ज्योतिषशास्त्र में घटक कालसर्प दोष की शांति के लिए जो उपाय बताए गए हैं उनमें एक उपाय यह है कि व्यक्ति को नियमित शिव जी पूजा करनी चाहिए तथा जितना संभव हो ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। राहु ग्रह की शांति के लिए राहु मंत्र “ओम रां राहवे नम:” मंत्र का जप करना चाहिए। जप के पश्चात राहु के नाम से हवन करके राहु की वस्तुएं जैसे गोमेद, सीसा, तिल, नीले, वस्त्र, सूप, कंबल का दान करना चाहिए।