राहु के सप्तम भाव में होने पर यह योग बनता हैं । यहाँ पर राहु अशुभ होने पर वैवाहिक विलम्ब, विवाह होने पर सुख में कमी रहती है। परिश्रम द्वारा ही धन मिलता हैं। लेकिन शुभ फल में चतुराई से लाभ होता हैं तथा लग्न का केतु चिङचिङा बना देता हैं। यदि केतु शुभ होगा तो आकस्मिक लाभ व लाटरी के द्वारा लाभ कराता है।
उपाय : लहसुनिया नग छोटी रिंग में चांदी में धारण करें और प्रत्येक शनिवार कुतो को दूध पिलाये।