kudadan ka vastu

कूड़ादान का वास्तु – घर का वास्तु – kudadan ka vastu – ghar ka vastu

कूड़ादान का वास्तु वास्तु अनुसार कूड़ादान
एक साफ़ सुथरे माहौल में रहना भला किस व्यक्ति को अच्छा नहीं लगता है। वैसे तो घर को हमेशा साफ़ ही रखना चाहिए, घर का सारा कूड़ा बाहर निकाल देना चाहिए। लेकिन अपने घर और आस पास के इलाके को साफ़ सुथरा और ठीक ठाक रखना मुश्किल होता जा रहा है। घर की गंदगी को संभाल कर रखने में भी हमें बहुत से लाभ प्राप्त होते है। इसके लिए हमें दिशाओं का ध्यान रखना पड़ेगा ताकि उचित लाभ प्राप्त हो सके। जिस प्रकार से संसार में चार दिशाएँ होती है। उसी तरह से घर में भी चार कोने या हम उनको दिशा भी कह सकते है और यह माना जाता है कि पूर्व को ब्राह्मण, दक्षिण को क्षत्रिय, उतर को वैश्य और पश्चिम को शुद्र की दिशा कहा जाता है।
घर के आगे कूड़ेदान का होना वास्तु वास्तुविज्ञान के अनुसार कष्टकारी होता है। इसके कारण घर में नकारात्मक उर्जा आती है। इसकी वजह से घर के लोगों का स्वभाव और उनकी सेहत खराब रहती है।
आमतौर पर घरों में कूड़ादान के नाम पर टूटी-फूटी बाल्टी या पुराना, गंदा सा डिब्बा रख दिया जाता है। आजकल जबकि घर के इंटीरियर डेकोरेशन पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है, घर की अन्य वस्तुओं की तरह इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। आजकल बाजार में एक से एक खूबसूरत डिजाइन एवं रंगों वाले कूड़ादान उपलब्ध हैं। कूड़ादान के लिए वास्तु टिप्स
खरीदने के पूर्व विचार कर लें कि आप किस स्थान पर रखने के लिए कूड़ादान खरीद रहे हैं। बेडरूम और ड्राइंग रूम जैसी जगहों के लिए सुंदर डिजाइन, ढक्कनदार, छोटे आकार एवं हल्के रंग का तथा बाहर के बरामदे या आँगन के लिए थोड़ा बड़ा एवं किसी गहरे रंग का ढक्कनदार कूड़ेदान खरीदें।
यदि संभव हो सके तो गीली खाद्य वस्तुओं एवं सूखे कूड़े के लिए अलग-अलग कूड़ेदान बनाएँ। इस तरह आप खाद्य वस्तुओं वाला कचरा जानवरों को खिला सकती हैं या इसका उपयोग खाद बनाने के लिए भी कर सकती हैं।
यदि संभव हो तो घर के प्रत्येक कमरे में एक छोटा कूड़ादान रखें ताकि कमरों में कचरा इधर-उधर न फैले। बच्चों में प्रारंभ से ही कूड़ादान में कचरा डालने की आदत डालें।
रसोई के लिए सदैव ढक्कनदार एवं पैर से खुलने वाला कूड़ादान खरीदें ताकि आप खड़े-खड़े ही कूड़ा फेंक सकें।
कचरा फेंकने के बाद इसे प्रतिदिन अंदर एवं बाहर से पानी से साफ करके सुखाएँ और फिर नीचे तली में एक पॉलिथीन बिछाएँ ताकि आपका कूड़ादान साफ-सुथरा रह सके।
सप्ताह में कम से कम एक बार इसे डेटॉल या फिनाइलयुक्त पानी से भली-भाँति धोकर सुखाएँ, फिर प्रयोग करें ताकि वह कीटाणुमुक्त रह सके।
बासी खाना विशेषकर दाल, चावल व सब्जी जैसे तरल पदार्थों को कूड़ादान में खुला न डालें बल्कि उन्हें पॉलिथीन में बंद करके डालें ताकि उनमें सड़ांध न आए। वास्तु अनुसार कूड़ेदान की दिशाएं
पूर्व दिशा: इस दिशा पर सूर्य का अधिकार है। अगर घर के इस दिशा में कचरा या कबाड़ जमा रहता है तो परिवार के मुखिया की घर में ही नहीं चलेगी। इसके अलावा सरकार, राज्‍य एवं प्रभुसत्‍ता से संबंधित मामलों में नुकसान होने की आशंका हमेशा बनी रहेगी। सूखे कचरे के अलावा अगर इस क्षेत्र में गंदा पानी जमा हो रहा हो, सीलन भरी गंदगी हो तो परिवार के पुरुष सदस्‍य पीडि़त रहते हैं।
पश्चिम दिशा: घर के कूड़े – कचरे को हमेशा ही पश्चिम दिशा में रखना अच्छा उपाय माना जाता है लेकिन जिनके भी घरों के दरवाजें पश्चिम दिशा में होते है। उनको कूड़े का स्थान इस तरह से बनाना चाहिए कि घर से निकलते समय कूड़ा बायीं तरफ ही हो। गंदगी को जिस दिशा में या फिर कोने में रखा जाएगा उस दिशा की सकारात्मक, ऊर्जा भी गंदगी से ही पूर्ण हो जाएगी और सभी काम गलत होते जाएंगे, साथ ही इससे घर की प्रसिद्धि भी घटने लग जाती है।
उत्तर: उत्तर दिशा में गंदगी होने पर ये नुकसान होता है कि घर में नकारात्मक उर्जा का आगमन हो जाता है और जो भी जिस भी तरह का धन घर में आता है। वो गंदगी से ही भरा हुआ होता है। इसका मतलब है कि या तो उस धन को झूठ बोलकर या फिर किसी गलत काम को करके कमाया गया है।
दक्षिण: गंदगी को दक्षिण दिशा में रखने के कारण घर की जो भी सुरक्षा होती है या जो भी घर में भोजन बनता है। उसके अन्दर कोई न कोई कमी रह ही जाती है। इसके अलावा घर के सदस्यों को खून में इन्फेक्शन की कोई बड़ी बीमारी होने का भी खतरा रहता है।”

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