कुंडली के आठवें भाव को वैदिक ज्योतिष में रंध्र भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव मुख्य तौर पर जातक की आयु के बारे में बताता है। किसी कुंडली में आठवें भाव तथा लग्न भाव अर्थात पहले घर के बलवान होने पर या इन दोनों घरों केएक या एक से अधिक शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने पर जातक की आयु सामान्य या फिर सामान्य से भी अधिक होती है जबकि कुंडली में आठवें भाव के बलहीन होने से अथवा इस भाव पर एक या एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने से जातक की आयु पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कुंडली का आठवां भाव वसीयत में मिलने वाली जायदाद के बारे में, अचानक प्राप्त हो जाने वाले धन के बारे में, किसी की मृत्यु के कारण प्राप्त होने वाले धन के बारे में तथा किसी भी प्रकार से आसानी से प्राप्त हो जाने वाले धन के बारे में भी बताता है। कुंडली के आठवां भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव जातक को बवासीर तथा गुदा से संबंधित अन्य बीमारियों से पीड़ित कर सकता है।
