वैदिक ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। इस ग्रह की अपनी कोई राशि नहीं है अत: जिस राशि में होता है उस राशि के स्वामी अथवा भाव के अनुसार फल देता है। राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग नामक शुभ योग का निर्माण करता है। अष्टलक्ष्मी योग में राहु अपना पाप पूर्ण स्वभाव त्यागकर गुरू के समान उत्तम फल देता है। अष्टलक्ष्मी योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है वह व्यक्ति ईश्वर के प्रति आस्थावान होता है। इनका व्यक्तित्व शांत होता है। इन्हें यश और मान सम्मान मिलता है। लक्ष्मी देवी की इनपर कृपा रहती है।