देव दोष ऐसे दोषों को कहते हैं जो पिछले पूर्वजों, बुजुर्गो से चलें आ रहे हैं, जिसका देवताओं से संबंध होता है। गुरु और पुरोहित तथा ब्राहमण विद्वान पुरुषों को इनके पिछले पूर्वज मानते चले आते थे। इन्होंने उनको मानना छोड़ दिया अथवा वह पीपल जिस पर यह रहते थे, को काट दिया तो उससे देव दोष पैदा होता है। इसका असर औलाद तथा कारोबार पर विपरीत होता है। इसका संबंध बृहस्पति तथा सूर्य से होता है। बृहस्पति नीच सूर्य भी नीच या दो बुरे ग्रहों के घरे में हो तो यह दोष उत्पन्न होता है।
अपने समय के अनुरूप इस जातक के भाई ने कोई रूहानी गुरु धारण कर लिया और उस गुरु के कहने पर देवी देवता पुरोहित की पूजा छोड़ दी, जिससे कारोबार में अत्यधिक हानि होती गई। रुकती नहीं। पहले इनके पूर्वज बुजुर्गादि, देवी देवता व शहीदों मृतकों को मानते थे। परन्तु इन्होंने उनको मानना पूजा आदि छोड़ दी इस कारण ऐसा हुआ। दोबारा पूजा शुरू करने पर सब ठीक है।