dining table ka vastu

डाइनिंग टेबल का वास्तु – घर का वास्तु – dining table ka vastu – ghar ka vastu

डाइनिंग टेबल का वास्तु वास्तु के अनुसार डाइनिंग टेबल
डाइनिंग टेबल यूं तो महज खाने की टेबल मानी जाती है, लेकिन वास्तु के हिसाब से इस टेबल का बड़ा महत्व है। हमारे जीवन पर इस टेबल का पूरा प्रभाव पड़ता है। हमारे घर में डाइनिंग टेबल कहां है, हम इस टेबल पर किस दिशा में बैठकर खाना खाते हैं, इन सबसे हमारा जीवन प्रभावित होता है।
पहले-पहल रसोईघर में ही खाना बनाया भी जाता था और वहीं खिलाया भी जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज खाना बनाने के लिए तो रसोईघर है, लेकिन खाना खाने के लिए डाइनिंग रूम होता है। कहीं-कहीं डाइनिंग रूम ड्राइंग रूम के साथ होता है, तो कहीं-कहीं आज भी डाइनिंग टेबल को रसोईघर में ही रखा जाता है। वास्तु उपायों को अपने दैनिक जीवन में स्थान देने वाले सवाल करते हैं कि घर में डाइनिंग टेबल की सही स्थिति क्या हो? किस दिशा में बैठकर खाना चाहिए आदि?
जिस तरह किसी भी आवास में ड्राइंगरूम, बेडरूम, रसोई, बाथरूम, बालकनी आदि का उचित दिशा में होना जरूरी है, उसी तरह डाइनिंग रूम अथवा डाइनिंग टेबल का भी सही दिशा में होना बेहद जरूरी है। खाना हमारी उदर पूर्ति तो करता ही है, वह हमें संतोष और सुख भी प्रदान करे, इसके लिए उसे सही दिशा में बैठकर ग्रहण करना बहुत आवश्यक है। डाइनिंग टेबल की दिशा
डाइनिंग टेबल मकान में पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। यह डाइनिंग टेबल के लिए सबसे उचित स्थान होता है। अगर इस दिशा में इसे स्थापित न कर सकें तो पूर्व दिशा भी उपयुक्त है।
डाइनिंग टेबल दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में न हो।
इसे मकान के मुख्य द्वार के सामने नहीं रखना चाहिए।
आजकल ओपन रसोई का चलन काफी है। देखने में आता है कि गृह सज्जा के अनुकूल जानकर डाइनिंग टेबल को खुली रसोई के सामने स्थापित कर दिया जाता है। ऐसा करने से बचें। ओपन यानी खुली रसोई के सामने डाइनिंग टेबल स्थापित करना परिवार में वैर-वैमनस्य को बढ़ाता है।
डाइनिंग टेबल वर्गाकार या आयताकार हो सकती है, लेकिन यह गोल नहीं होनी चाहिए। गोल टेबल पर परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन नहीं कर पाते। इसे वास्तु के अनुरूप नहीं माना जाता।
डाइनिंग टेबल पर किसी खूबसूरत कांच के बर्तन में अलग-अलग किस्म के अनाज के दाने भरकर रखने चाहिए। यह मां अन्नपूर्णा की कृपा का सूचक है। अनाज के दानों के स्थान पर आप फलों की टोकरी या खाद्य सामग्री का प्रतीकात्मक कोई शो-पीस भी रख सकते हैं।
डाइनिंग टेबल के आसपास दीवारों पर युद्ध, आखेट (शिकार), भूखे-नंगे, उदास व रोते हुए बच्चों को दर्शाने वाले चित्र नहीं होने चाहिए। बैठने की दिशा
खाना खाते वक्त मुंह दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर न हो। अगर परिवार के सारे सदस्य एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, तो ऐसा संभव नहीं है। इसलिए ध्यान रहे कि परिवार के मुखिया का मुंह दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में न हो। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण अथवा दक्षिण-पश्चिम की ओर मुंह करके भोजन अगर ग्रहण किया जाता है तो वह पितरों को चला जाता है। इस मामले में एक अपवाद भी है। अतिथि का मुख भोजन करने के दौरान दक्षिण में हो सकता है। वैसे अलग-अलग दिशा में बैठकर खाना खाने का अलग-अलग महत्व होता है।”

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