दुर्गा बीसा यंत्र:
दुर्गा देवी के नवार्ण मंत्र की शक्ति से युक्त इस सिद्ध बीसा यंत्र को प्राण प्रतिष्ठत करा कर दुकान के मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाता है।
गृह का आकार :-
जिस भूखंड की लंबाई अधिक तथा चौड़ाई कम हो, समकोण वाली उस भूमि को आयताकार भू-खंड (प्लॉट) कहते हैं। इस प्रकार
की भूमि सर्वसिद्धि दायक होती है।
‘स्तिाराद् द्विगुणं गेहं गृहस्वामिविनाशनम्’ (विश्वकर्मा प्रकाश 2/109)- चौड़ाई से
दुगनी या उससे अधिक लंबाई की आयताकार लंबा मकान ‘सूर्यवेधी’ और उत्तर से दक्षिण की ओर लंबा मकान ‘चंद्रवेधी’
होता है। चंद्रवेधी मकान धन-समृद्धिदायक है, किंतु जल-संग्रह की दृष्टि से सूर्यवेधी शुभ होता है, चंद्रवेधी मकान में
पानी की समस्या रहती है। ब्रह्ममुहूर्त काल में सूर्य उत्तर पूर्वी भाग में रहता है। यह समय योग-ध्यान, भजन-पूजन और चिंतन-
मनन का है। ये क्रियाएं सफलता पूर्वक सम्पन्न हों, इस हेतु मकान के उत्तर पूर्व की दिशा में खिड़की या दरवाजा अवश्य
होना चाहिए। जिससे हमें अरुणोदय का लाभ मिल सके। प्रातः 6 से 9 बजे तक सूर्य पूर्व दिशा में रहता है, इसलिए घर का पूर्वी भाग
अधिक खुला रखना चाहिए। जिससे सूर्य की रोशनी अधिक कमरे में आ सके। तभी हम सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ
उठा पाऐंगे। गृहनिर्माण आरंभ और गृह प्रवेश के समय विभिन्न देवताओं के रूप में सूर्यदेव का ही पूजन होता है ताकि प्राण
ऊर्जा देने वाले आरोग्य के देवता सूर्य का सर्वाधिक लाभ मिल सके। सूर्य रश्मियों की जीवनदायिनी प्राणऊर्जा का भरपूर
लाभ उठाने के लिए वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा की प्रधानता को स्वीकार किया गया है। गृहारंभ मुहूर्त से
गृह प्रवेश तक सूर्य का प्रधानता से विचार किया जाता है।
दुर्गा बीसा यंत्र – durga beesa yantra – सम्पूर्ण वास्तु दोष – sampurna vastu dosh nivaran