अगर घर दक्षिण या पश्चिम मुखी हो तो उसमें कभी भी सिर्फ एक ही मुख्य द्वार नहीं बनवाना चाहिए।
मुख्य द्वार हमेशा अंदर और घड़ी की दिशा में ही खुलना चाहिए।
मुख्य द्वार को खोलने और बंद करने में किसी तरह की आवाज़ नहीं होनी चाहिए।
अगर एक द्वार के ऊपर दूसरा द्वार बनवाना पड़े तो ये ध्यान रखें कि ऊपर वाला द्वार मुख्य द्वार से छोटा होना चाहिए और एक सीध में होना चाहिए।
घर का मुख्य द्वार और रसोई आमने-सामने नहीं होने चाहिए लेकिन अगर आपके घर में ऐसी स्थिति है तो रसोई घर के दरवाजे पर पर्दा लगा लें।
घर के वास्तु दोष को कम करने के लिए, घर के मुख्य द्वार पर 4*4 इंच का ताम्बे से निर्मित वास्तु दोष निवारण यंत्र लगाया जा सकता है।
मुख्य द्वार से सम्बंधित वास्तु दोष को दूर करने के लिए इस द्वार पर घंटियों की झालर लगायी जा सकती है जिससे उत्पन्न होने वाली आवाज़ नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखेगी।
घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा और कहाँ होना चाहिए? 1 – ghar ka mukhy dwaar vastu shastra ke anusaar kaisa aur kahaan hona chaahie? 1 – सम्पूर्ण वास्तु दोष – sampurna vastu dosh nivaran