ऐसा माना जाता है कि हमारे शरीर में जितना महत्व मुख का होता है उतना ही महत्व घर के मुख्य द्वार का होता है। घर का मुख्य द्वार घर के बाकी सभी द्वारों से बड़ा होना चाहिए।
मुख्य द्वार के लिए पूर्व या उत्तर दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है और जहाँ तक संभव हो, घर का मुख्य द्वार मध्य पश्चिम या दक्षिण में नहीं बनाना चाहिए।
मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला होना चाहिए यानी इसमें दहलीज भी होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दहलीज आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकती है।
घर के मुख्य द्वार पर रोशनी की अच्छी व्यवस्था रखनी चाहिए।
अगर आपके घर के शुरुआत में पर्याप्त स्थान है तो आपको दो दरवाजे बनवाने चाहिए। एक अंदर आने के लिए और एक बाहर जाने के लिए।
अगर आप दो दरवाजे बनवाते हैं तो ये ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि बाहर जाने वाले द्वार का आकार, अंदर आने वाले मुख्य द्वार से छोटा होना चाहिए।
मुख्य द्वार के दोनों तरफ और ऊपर कुमकुम, रोली, केसर और हल्दी को मिलाकर स्वास्तिक या ॐ का चिन्ह बनाना चाहिए।
घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा और कहाँ होना चाहिए? – ghar ka mukhy dwaar vastu shastra ke anusaar kaisa aur kahaan hona chaahie? – सम्पूर्ण वास्तु दोष – sampurna vastu dosh nivaran