आजकल हर उम्र की महिलाओं का स्वास्थ्य चार-पांच दशक पहले की महिलाओं की तुलना में ज्यादा खराब रहने लगा है। रहन-सहन, खान-पान इत्यादि हर प्रकार की सावधानियां बरतने के बाद भी महिलाओं में रोग बढ़ते ही जा रहे है। वास्तु का रोगों से अभिन्न संबंध है। मैंने कई वर्षो के अपने वास्तु परार्मश के दौरान पाया कि आजकल बनने वाले घरों की बनावट में बहुत ज्यादा वास्तुदोष होते है। पिछले कुछ दशकों से आर्किटेक्ट मकानों को सुंदरता प्रदान करने के लिए अनियमित आकार के मकानों को महत्त्व देने लगे है। जिस कारण मकान बनाते समय जाने-अनजाने वास्तु सिद्धांतों की अवहेलना होती रहती है। चाहे महिला हो या पुरूष उनकी हर प्रकार की बीमारी में वास्तुदोष की भी अपनी एक महत्त्व भूमिका अवश्य रहती है। वास्तुदोष के कारण घर में सकारात्क और नकारात्क ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। जो महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके जीवन पर भी प्रभाव डालता है। देखते है ऐसे कौन से वास्तु दोष है जो घर में ऊर्जा के असंतुलन का कारण बनते है।
1 जिस घर का आगे का भाग टूटा हुआ, प्लास्टर उखड़ा हुआ या सामने की दीवार में दरार, टूटी फूटी या किसी प्रकार से भी खराब हो रही हो उस घर की मालकिन का स्वास्थ्य खराब रहता है उसे मानसिक अशान्ति रहती है और हमेशा अप्रसन्न उदास रहती हैं।
2 किसी घर का नैऋत्य कोण (SW), विशेषतौर पर दक्षिण नैऋत्य (South of the South West) किसी भी प्रकार से नीचा हो या वहां किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का टैंक, कुआ, बोरवेल, सैप्टिक टैंक इत्यादि हो तो वहां रहने वाली महिलाएं सदस्य अक्सर रोगों से पीडि़त रहेगी और उन्हें मृत्यु-भय बना रहेगा।
3 उत्तर (North) और ईशान (North east) ऊँचा हो और बाकी सभी दिशाए व कोण पूर्व (East), आग्नेय (South east), दक्षिण (South), पश्चिम (West), नैऋत्य (South west) और वायव्य (North west) नीचे हो तो घर की स्त्री को लाईलाज बीमारी होती है और असामयिक मृत्यु की संभावना प्रबल हो जाती है।
4 अगर उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य और पश्चिम निचले हो तथा आग्नेय, दक्षिण और वायव्य ऊँचे हो तो जबरदस्त आर्थिक हानि होगी उस घर का मालिक कर्ज से परेशान होगा। उसकी पुत्री व पत्नी लम्बी बीमारियों से पीडि़त होगी।
5 उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य निचले, आग्नेय और दक्षिण ऊँचे होने पर उस घर के मालिक की पत्नी की या तो असामयिक मृत्यु हो जाएगी या वह लम्बी बीमारी से परेशान रहेगी। ऐसे बने घर में हमेशा बीमारी, कलह, शत्रुता बनी रहती है।
6 घर का आग्नेय नीचा हो, और आग्नेय और पूर्व के बीच में या आग्नेय और दक्षिण के बीच में कुओं, पानी का टैंक, सैप्टिक टैंक, बोरवेल या मोरियां बनायी जाएं तो घर के सदस्यों को दीर्घकालिन व्याधियां होंगी विशेषतौर पर घर के मालिक की पत्नी दीर्घ व्याधि से पीडि़त होगी।
7 ईशान कोण स्थित घर की उत्तर ईशान दिशा की लम्बाई घटे और उत्तरी हद तक निर्माण किया गया हो तो घर की मालकिन रोग से ग्रस्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी अथवा आर्थिक कठिनाईयों से परेशान होकर कठिन जीवन व्यतीत करेगी।
8 घर के दक्षिण नैऋत्य (South of the South West) मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां उन्माद जैसे रोगों की शिकार होंगी। कहीं कहीं वे खुदकुशी भी कर सकती है।
9 दक्षिण नैऋत्य मार्गप्रहार से उस घर की नारियां भयंकर रोगों से पीडि़त होंगी। इसके साथ नैऋत्य में कुआं, बोरवेल, भूमिगत पानी की टंकी अर्थात् किसी भी प्रकार से नीचा हो तो वे आत्महत्या कर सकती है या लम्बी बीमारी से उनकी मृत्यु हो सकती है।
10 जिस घर का दक्षिण नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ हो उस घर की स्त्रियों को लम्बी बीमारियों या उनकी दर्दनाक मौत की संभावना बनती है।
11 उत्तर वायव्य में मार्ग प्रहार हो तो उस घर की स्त्रियां बीमार रहेगी। उत्तर वायव्य मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां न केवल बीमार होंगी, बल्कि घर वाले अनेक प्रकार के व्यसनों के शिकार होंगे।
12 पूर्व दिशा में मुखद्वार हो और उत्तर दिशा की हद तक निर्माण किया हो, दक्षिण में खाली स्थल हो तथा नैऋत्य अगे्रत हो, तो उस घर की स्त्रियां दुर्घटनाग्रस्त होंगी।
13 दक्षिण में घर का मुख्यद्वार हो और ईशान कोण तक भवन निर्माण किया गया हो दक्षिण दिशा खुली हो और वहां ढलाऊ बरामदा बनाया जाये तो ऐसे घर की मालकिन लाइलाज बीमारी से परेशान रहेगी। उस घर के बच्चे भी गलत रास्तों पर चलेंगे।
14 घर के दक्षिण दिशा में अहाते का होना या खुला होना या सभी कमरों व बरामदों में दक्षिण का भाग नीचा हो तो उस घर की स्त्रियां सदैव रोगी रहती है, ऐसे घरों में अकाल मृत्यु की संभावना रहती है। परिवार में आर्थिक कष्ट रहता है।
15 किसी घर के आंगन से पानी दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण की ओर से बाहर बह जाता तो उस घर की स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए शुभ नहीं होता है।
उपरोक्त वास्तुदोषों को दूर कर महिलाओं को होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। ध्यान रहे वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है। वास्तुदोष होने पर उनका निराकरण केवल वैज्ञानिक तरीके से ही करना चाहिए और उसका एकमात्र तरीका घर की बनावट में वास्तुनुकुल परिवर्तन कर वास्तुदोषों को दूर किया जाए।
महिलाओं के स्वास्थ्य पर वास्तुदोषों का प्रभाव – mahilaon ke svaasthy par vaastudoshon ka prabhaav – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya