सामान्यत : मनुष्य का शयनकक्ष नैत्रृत्य दक्षिण तथा पश्चिम भाग में हो । अविवाहित पुत्र का कक्ष आग्नेय भाग में उत्तम, तथा पुत्रियो का वायव्य दिशा में उत्तम, ईशान्य भाग में बुजुर्ग लोगो का शयनकक्ष उत्तम, ईशान्य भाग में नवविवाहीतोका कक्ष गलत माना गया है । शयनकक्ष में सोते समय हमेशा सर दिवार को सटाकर सोना चाहिए । सर के पास Electric Points तथा पानी न हो । पैर धोकर और पौछकर ही सोना चाहिए ।
पुर्व की ओर पैर करकर सोनेसे नीद कम आती है । ज्ञान की प्राप्ती होती है, हलकीसी चिंता रहती है । बच्चो के लिए उत्तम ।
उत्तर दिशा की और पैर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक लाभ की संभावना रहती है । विवाहीत लोगो के लिए उत्तम ।
पश्चिम दिशा की और पैर करके सोने से शरीर की थकान निकलती है, नींद अच्छी आती है । बुजुर्ग लोगो के लिए उत्तम तथा
दक्षिण की ओर समाधि मरण के समय पैर कर देना चाहिए । अन्य समय दक्षिण की ओर पैर करके सोना निषिद्ध है ।
शयनकक्ष तथा सोने का तरीका – shayan kaksh tatha sone ka tareeka – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya