vastu dosh nivaran yantra.

वास्तुदोष निवारक यन्त्र – वास्तुदोष निवारण – vastu dosh nivaran yantra – vastu dosh nivaran

वास्तु दोषों के विभिन्न दिशाओं में होने से उससे सम्बन्धित यन्त्र उपयोग में लाकर उन दोषों का निवारण किया जा सकता है। इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि यन्त्र जानकर व्यक्ति द्वारा विधि पूर्वक बनाये गये हों व उनकी शुद्धि भी कर ली गई हो।
यन्त्र का उपयोग किसी भी जानकर वास्तुशास्त्री से सलाह लेकर विधि पूर्वक करना चाहिए।

मुख्य यन्त्र :—

पूर्व में दोष होने पर – सूर्य यन्त्र पूर्व की तरफ स्थापित करें।

पश्चिम में दोष होने पर – वरूण यन्त्र या चन्द्र यन्त्र पूजा में रखें।
दक्षिण में दोष होने पर – मंगल यन्त्र पूजा में रखें।
उत्तर में दोष होने पर – बुध यन्त्र पूजा में रखें।
ईशान में दोष होने पर – ईशान में प्रकाश डालें व तुलसी का पौधा रखें।
पूजा में गुरू यन्त्र रखें।
आग्नेय में दोष होने पर – प्रवेश द्वार पर सिद्ध गणपति की स्थापना एवं शुक्र यन्त्र पूजा में रखें।
नैरूत में दोष होने पर – राहु यन्त्र पूजा में स्थापित करें।
वायव्य में दोष होने पर – चन्द्र यन्त्र पूजा में रखें।
उपरोक्त के अलावा अन्य भी कई यन्त्र हैं, जैसे व्यापार वृद्धि यन्त्र, वास्तुदोष नाशक यन्त्र, श्री यन्त्र इत्यादि।
वास्तुदोष नाशक यन्त्र को द्वार पर लगाया जा सकता है।
भूमि पूजन के समय भी चांदी के सर्प के साथ वास्तु यन्त्र गाड़ा जाना बहुत फलदायक होता है।
विभिन्न प्रकार के आवासीय कक्ष आधुनिक जीवन के आवासीय भवनो में अनेक प्रकार के कक्षों – रसोईघर, शौचालय, शयन कक्ष, पूजाघर, अन्न भण्डार, अध्ययन कक्ष, स्वागत कक्ष आदि का अपना-अपना महत्वपूर्ण स्थान होता है।
ऐसे में इन कक्षों आदि को किस दिशा में बनाना उपयोगी होगा यह भी जानना अति आवश्यक है।

स्थान निर्धारण —

अब हम विभिन्न आवश्यक कक्षों का निर्धारण उनकी दिशा-विदिशा सहित निम्नवत् सारिणी द्वारा प्रस्तुत कर रहे हैं
– कक्षों के नाम वास्तु सम्मत दिशा एवं कोण रसोईघर आग्नेय कोण में शयन कक्ष दक्षिण दिशा में स्नानघर पूर्व दिशा में भोजन कराने का स्थान पश्चिम दिशा में पूजाघर ईशान कोण में शौचालय नैर्ऋत्य कोण में भण्डार घर उत्तर दिशा में अध्ययन कक्ष नैर्ऋत्य कोण एवं पश्चिम दिशा के बीच स्वागत कक्ष या बैठक पूर्व दिशा में पशुघर वायव्य कोण में तलघर या बेसमेंट पूर्व या उत्तर दिशा में चौक भवन के बीच में कुआं पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं ईशान कोण में घृत-तेल भण्डार दक्षिणी आग्नेय कोण में अन्य वस्तु भण्डार दक्षिण दिशा में अन्न भण्डार पश्चिमी वायव्य कोण में एकांतवास कक्ष पश्चिमी वायव्य कोण में चिकित्सा कक्ष पूर्वी ईशान कोण में कोषागार उत्तर दिशा

वास्तुदोष निवारक यन्त्र – vastu dosh nivaran yantra – वास्तुदोष निवारण – vastu dosh nivaran

 

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