वास्तुशास्त्र

vastu shastra ke mool siddhant

वास्तुशास्त्र के मूल सिद्धांत – वास्तुशास्त्र – vastu shastra ke mool siddhant – vastu shastra

हमारे ऋषियों का सारगर्भित निष्कर्ष है, ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे।’ जिन पंचमहाभूतों से पूर्ण ब्रह्मांड संरचित है उन्हीं तत्वों से हमारा शरीर निर्मित है और मनुष्य की पांचों इंद्रियां भी इन्हीं प्राकृतिक तत्वों से पूर्णतया प्रभावित हैं। आनंदमय, शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन के लिए शारीरिक तत्वों का ब्रह्मांड और प्रकृति में व्याप्त पंचमहाभूतों से एक […]

वास्तुशास्त्र के मूल सिद्धांत – वास्तुशास्त्र – vastu shastra ke mool siddhant – vastu shastra Read More »

vaidik kal kya hai vastu purush?

वैदिक काल क्या है वास्तुपुरुष? – वास्तुशास्त्र – vaidik kal kya hai vastu purush? – vastu shastra

वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है, जिससे उनका मुंह ईशान कोण व पैर नैऋत्य कोण की ओर होते हैं। उनकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण की ओर मुड़ी हुई रहती है। देवताओं से युद्ध के समय एक राक्षस को देवताओं ने

वैदिक काल क्या है वास्तुपुरुष? – वास्तुशास्त्र – vaidik kal kya hai vastu purush? – vastu shastra Read More »

vaidik vaastushaastr- dishaon aur konon ka vigyaan

वैदिक वास्तुशास्त्र: दिशाओं और कोणों का विज्ञान – वास्तुशास्त्र – vaidik vaastushaastr: dishaon aur konon ka vigyaan – vastu shastra

आज किसी भी भवन निर्माण में वास्तुशास्त्री की पहली भूमिका होती है, क्योंकि लोगों में अपने घर या कार्यालय को वास्तु के अनुसार बनाने की सोच बढ़ रही है। यही वजह है कि पिछले करीब एक दशक से वास्तुशास्त्री की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है। वास्तु ऐसा विषय है, जिस पर पुरातन काल

वैदिक वास्तुशास्त्र: दिशाओं और कोणों का विज्ञान – वास्तुशास्त्र – vaidik vaastushaastr: dishaon aur konon ka vigyaan – vastu shastra Read More »

saral aur upyogi vastu tips!!!

सरल और उपयोगी वास्तु टिप्स!!! – वास्तुशास्त्र – saral aur upyogi vastu tips!!! – vastu shastra

ईशान कोण यानी भवन के उत्तर-पूर्वी हिस्से वाला कॉर्नर पूजास्थल होकर पवित्रता का प्रतीक है इसलिए यहां झाड़ू-पोंछा, कूड़ादान नहीं रखना चाहिए।प्रात:काल नाश्ते से पूर्व घर में झाड़ू अवश्य लगानी चाहिए।संध्या समय जब दोनों समय मिलते हैं, घर में झाड़ू-पोंछे का काम नहीं करना चाहिए।घर में जूतों का स्थान प्रवेश द्वार के दाहिने तरफ न

सरल और उपयोगी वास्तु टिप्स!!! – वास्तुशास्त्र – saral aur upyogi vastu tips!!! – vastu shastra Read More »

vashtushastr ka udbhav ‘vaidik shastron grh nirmaan yogy bhoomi

वास्तुशास्त्र का उदभव ‘वैदिक शास्त्रों गृह निर्माण योग्य भूमि – वास्तुशास्त्र – vashtushastr ka udbhav ‘vaidik shastron grh nirmaan yogy bhoomi – vastu shastra

अर्थात् जिस भूमि पर अधिक सुरक्षा व सुविधा प्राप्त हो सके, इस प्रकार के मकान को भवन व महल आदि जिसमें मनुष्य रहते हैं या काम करते हैं वास्तु कहते है।इस ब्रह्मण्ड में सबसे शाक्तिशाली प्राकृति है क्योंकि यही सृष्टि का विकास करती है।यही ह्रास प्रलय, नाशा करती है।वास्तु शास्त्र इन्हीं प्राकृतिक शाक्तियों का अधिक

वास्तुशास्त्र का उदभव ‘वैदिक शास्त्रों गृह निर्माण योग्य भूमि – वास्तुशास्त्र – vashtushastr ka udbhav ‘vaidik shastron grh nirmaan yogy bhoomi – vastu shastra Read More »

vaastushaas‍tr kee aath pramukh dishaen evan unak mahatv

वास्तुशास्‍त्र की आठ प्रमुख दिशाएं एवं उनक महत्व – वास्तुशास्त्र – vaastushaas‍tr kee aath pramukh dishaen evan unak mahatv – vastu shastra

वास्तुशास्‍त्र में आठ प्रमुख दिशाओं का जिक्र आता है, जो मनुद्गय के समस्त कार्य-व्यवहारों को प्रभावित करती हैं। इनमें से प्रत्येक दिशा का अपना-अपना विशेष महत्व है। अगर आप घर या कार्यस्थल में इन दिशाओं के लिए बताए गए वास्तु सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं, तो इसका सकारात्मक परिणाम आपके जीवन पर होता है। इन

वास्तुशास्‍त्र की आठ प्रमुख दिशाएं एवं उनक महत्व – वास्तुशास्त्र – vaastushaas‍tr kee aath pramukh dishaen evan unak mahatv – vastu shastra Read More »

vaastushastra ke ati mahatvpurn 3 siddhant

वास्तुशास्त्र के अतिमहत्वपूर्ण 3 सिद्धांत – वास्तुशास्त्र – vaastushastra ke ati mahatvpurn 3 siddhant – vastu shastra

कई वर्षों के सफल वास्तु परामर्श के अनुभवों के बाद मैंने पाया है कि दुनिया के किसी भी कोने में, जीवन के किसी भी क्षेत्र में, कोई सफल है तो उसका निवास स्थान या व्यावसायिक स्थल वास्तु अनुरूप अवश्य होता है। यदि वहां थोड़ा सा भी वास्तु दोष होता है तो उस वास्तु दोष से

वास्तुशास्त्र के अतिमहत्वपूर्ण 3 सिद्धांत – वास्तुशास्त्र – vaastushastra ke ati mahatvpurn 3 siddhant – vastu shastra Read More »

vastu-chakra ka varnan

वास्तु-चक्र का वर्णन – वास्तुशास्त्र – vastu-chakra ka varnan – vastu shastra

सूतजी कहते हैं— ऋषियो! अब मैं गृह निर्माण के उस समय का निर्णय बतला रहा हूँ, जिस शुभ समय को जानकर मनुष्य को सर्वदा भवन का आरम्भ करना चाहिये। जो मनुष्य चैत्र मास में घर बनाता है, वह व्याधि, वैशाख में घर बनाने वाला धेनु और रत्न तथा ज्येष्ठ में मृत्यु को प्राप्त होता है।

वास्तु-चक्र का वर्णन – वास्तुशास्त्र – vastu-chakra ka varnan – vastu shastra Read More »

vaastu- kaise karen dishaon ka shodhan

वास्तु: कैसे करें दिशाओं का शोधन – वास्तुशास्त्र – vaastu: kaise karen dishaon ka shodhan – vastu shastra

दिशाओं में देवी-देवताओं और स्वामी ग्रहों के आधिपत्य से संबंधित बहुत चर्चाएं की गई हैं। दिशाओं के देव व स्वामी होने से पृथ्वी पर किसी भूखंड पर निर्माण कार्य प्रारंभ करते समय यह विचार अवश्य कर लेना होगा कि भूखंड के किस भाग में किस उद्देश्य से गृह निर्माण कराया जा रहा है। यदि उस

वास्तु: कैसे करें दिशाओं का शोधन – वास्तुशास्त्र – vaastu: kaise karen dishaon ka shodhan – vastu shastra Read More »

vaastu mein dvaar va any vedh

वास्तु में द्वार व अन्य वेध – वास्तुशास्त्र – vaastu mein dvaar va any vedh – vastu shastra

मुख्य द्वार से प्रकाश व वायु को रोकने वाली किसी भी प्रतिरोध को द्वारवेध कहा जाता है अर्थात् मुख्य द्वार के सामने बिजली, टेलिफोन का खम्भा, वृक्ष, पानी की टंकी,मंदिर, कुआँ आदि को द्वारवेध कहते हैं। भवन की ऊँचाई से दो गुनी या अधिक दूरी पर होने वाले प्रतिरोध द्वारवेध नहीं होते हैं। द्वारवेध निम्न

वास्तु में द्वार व अन्य वेध – वास्तुशास्त्र – vaastu mein dvaar va any vedh – vastu shastra Read More »

Scroll to Top