saptam bhav mein gulik ka phal - janm kundli ke bhavon mein maandi athava gulik ka prabhaav

सप्तम भाव में गुलिक का फल – जन्म कुंडली के भावों में मांदि अथवा गुलिक का प्रभाव – सोलहवां दिन – Day 16 – 21 Din me kundli padhna sikhe – saptam bhav mein gulik ka phal – janm kundli ke bhavon mein maandi athava gulik ka prabhaav – Solahavaan Din

सप्तम भाव को कलत्र भाव भी कहा जाता है अर्थात जीवनसाथी का भाव। जब इस भाव में गुलिक अथवा मांदि स्थित होती है तब व्यक्ति अपने जीवनसाथी के कहे अनुसार चलता है। इसमें बहुत सी कमियाँ भी पाई जाती है, जैसे कि यह अपने जीवनसाथी के अतिरिक्त बहुत से अन्य लोगों के पास भी जाते हैं। यह अपने जीवनसाथी के धन से जीवनयापन करते हैं। इनके मित्र कम होते हैं और इसी कारण अच्छी मित्रता से वंचित रहते हैं। यह अत्यधिक पाप कर्मों में लिप्त रहते हैं। यह दुर्बल अथवा क्षीण भी होते हैं। गुलिक के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति का जीवन नीरस सा होता है और उसमें रस का अभाव रहता है, व्यक्ति उदास सा रहता है।

सप्तम भाव में गुलिक के स्थित होने से व्यक्ति का विवाह देरी से संपन्न होता है और कुछ व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिनके दो विवाह होते हैं। ऎसे व्यक्ति का जीवनसाथी सामान्यत: नौकरी करने वाला होता है और वह एक अच्छे साधन संपन्न परिवार से संबंधित होता है।

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