melapak vichar

मेलापक विचार – बारहवां दिन – Day 12 – 21 Din me kundli padhna sikhe – melapak vichar – Barahavaan Din

आयु, कर्म, धन, विद्या एवं मृत्यु ये पांचो चीजें गर्भावस्था में ही विधाता के द्दारा सुनिश्चित हो जाती है, अर्थात मनुष्य के पूर्वकर्मानुसार उसके भाग्य का निर्माण हो जाता है। विवाह पूर्व ज्योतिष द्दारा वर / कन्या की कुण्डली मिलान करते समय वर्णादि अष्टकूट गुण मिलान की संख्या पर कम उसके आधारभूत भावों तथा व्यवहारिक तथ्यों के मिलान पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जयोतिष में फलादेश की पूर्णता और प्रमाणिकता शुद्ध एवं सही जन्मकुण्डली पर ही निर्भर होती है। जयोतिष शास्त्र, काल के मापन का शास्त्र है।

जयोतिष शास्त्र, विश्व में और प्रत्येक प्राणी की जीवनधारा में हर पल घटने वाली संभाव्य घटनाओं का अनुमान के आधार पर संभाव्य विवरण प्रस्तुत करता है।
गृहस्थ आश्रम में प्रवेश हेतु विवाह आवश्यक है। प्राचीनकाल से लेकर आज तक धार्मिक एवं सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार सम्पन्न होने वाले विवाह को उत्तम माना जाता है।

विवाह दो परिवारों के मधुर मिलन के साथ-साथ, पति/पत्नी के बीच एकता, समरसता एवं सामंजस्य की त्रिवेणी का पवित्र संगम है। विवाह पुरुष एवं स्त्री के जीवनकाल का एक ऐसा स्वर्णिम-सुगंधित पल है, जिसमें गत अनेक वर्षों में देखे गए स्वप्रों की मनमोहक छवि और आनन्दमयी सुखी जीवन का रस छिपा है। विवाह के उपरांत वर/कन्या को भविष्य में मृत्यु तुल्य कष्ट, अलगाव, तलाक जैसे समस्याओं का सामना न करना पड़े इसलिए विवाह पूर्व वर/कन्या के माता-पिता, दोनों की जन्मकुण्डली का मिलान करवाते है, जोकि अति आवश्यक है।

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