masudon mein sujan tatha ghaav (gum inflammation and wound)

मसूड़ों में सूजन तथा घाव (Gum inflammation and wounds) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – masudon mein sujan tatha ghaav (gum inflammation and wound) – purush rog ka prakritik chikitsa

मसूढ़ों में सूजन तथा घाव (Gum inflammationa and wound)
जानकारी:-
मसूढ़ों में सूजन होने तथा घाव होने से मसूढ़े लाल हो जाते हैं। दांतों तथा मसूढ़ों के सभी रोग निश्चय ही मुंह की अच्छी तरह से सफाई न होने के कारण, गलत तरीके से खान-पान या भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी के कारण होते हैं। मसूढ़ों में सूजन तथा घाव भोजन के ठीक तरह से न पचने तथा तेज मसालेदार, तली-भुनी चीजों का अधिक प्रयोग करने से होता है। इस रोग के हो जाने पर रोगी के मुंह से बदबू आती है तथा मसूढ़ों के दबाने पर रक्त (खून) निकलने लगता हैं। जब यह बीमारी बहुत अधिक बढ़ जाती है तो मसूढ़ों के पास घाव बन जाता है और उससे पीव निकलने लगती है।

मसूढ़ों में सूजन तथा घाव होने के कारण-

जब कोई खाद्य पदार्थ खाने के बाद या पीने के बाद दांतों की सफाई सही से नहीं हो पाती है तो दांतों के आस-पास जीवाणु पनपने लगते हैं जिसके कारण मसूढ़ों में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।
पान, तम्बाकू, सुपारी, धूम्रपान तथा गुटके आदि के सेवन से पायरिया रोग हो सकता है जिसके कारण मसूढ़ों में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।
कब्ज तथा शरीर में होने वाले अन्य रोग दांतों को प्रभावित करते हैं जिसके कारण मसूढ़ों में सूजन तथा घाव हो सकते हैं।
शरीर में विटामिन `सी´, `डी´, तथा कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण मसूढ़ों में सूजन तथा घाव हो सकते हैं।
चीनी तथा चीनी से बने खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से मसूढ़ों में सूजन और घाव पैदा हो जाते हैं।

मसूढ़ों में सूजन तथा घाव होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

सरसों के तेल में नमक तथा हल्दी मिलाकर अंगुली से नित्य मसूढ़ों तथा दांतों को रगड़कर साफ करना चाहिए इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मसूढ़ों की सूजन तथा घाव का इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए और इसके बाद इसका उपचार करना चाहिए।
किसी प्रकार से मसूढ़ों पर चोट लग जाने के कारण भी मसूढ़ों में सूजन तथा घाव हो जाते हैं इसलिए मसूढ़ों पर किसी तरह की चोट लगने से बचाव करना चाहिए।
मसूढ़ों में सूजन तथा घाव से पीड़ित रोगी को कभी-भी चीनी, मिठाई या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रतिदिन सुबह के समय में गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करने से मसूढ़ों में सूजन के रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मसूढ़ों की सूजन तथा घाव को ठीक करने के लिए रोग व्यक्ति को अपने मसूढ़ों को प्रतिदिन मलना तथा रगड़ना चाहिए।
नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से प्रतिदिन कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन तथा घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
मसूढ़ों में सूजन तथा घाव से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में नीम की लकड़ी से दातुन करना चाहिए। इससे रोगी को अधिक लाभ मिलता है।
मसूढ़ों में सूजन तथा घाव का इलाज करने के लिए रोगी को गाजर, नींबू, आंवला, संतरा, मौसमी, पालक, नारियल पानी, सफेद पेठा आदि का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। फिर इसके बाद कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन जैसे फल, सलाद, अंकुरित दाल आदि का सेवन करना चाहिए। फिर इसके बाद साधारण भोजन जिसमें विटामिन `सी´, `डी´ तथा कैल्शियम की मात्रा अधिक हो उनका सेवन करना चाहिए।
अपनी उंगुली पर नींबू या आंवला का रस लगाकर, उंगुली को मसूढ़ों पर रगड़ने से मसूढ़ों की सूजन तथा घाव ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन चबाने से कुछ ही दिनों में मसूढ़ों की सूजन तथा घाव ठीक हो जाते हैं।
मुद्रा, सर्वांगासन, मत्सयासन तथा पश्चिमोत्तानासन करने से भी मसूढ़ों की सूजन तथा घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
मसूढ़ों में सूजन तथा घाव से पीड़ित व्यक्ति को कुछ भी खाने या पीने के बाद मुंह को अवश्य ही साफ कर लेना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन सुबह के समय में कुछ देर तक दूब चबाए तो उसका रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
मसूढ़ों की सूजन तथा घाव को ठीक करने के लिए दांतों पर स्थानीय चिकित्सा करने के साथ-साथ पूरे शरीर की प्राकृतिक साधनों से चिकित्सा करनी चाहिए जो इस प्रकार हैं- उपवास, एनिमा, मिट्टी पट्टी, कटिस्नान, गला लपेट, धूपस्नान, तथा जलोनेति आदि।
शीतकारी, शीतली प्राणायाम करने से भी मसूढ़ों में सूजन तथा घाव से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता हैं।
बादाम के छिलके तथा फिटकरी को भूनकर फिर इसको पीसकर एक साथ मिलाकर शीशे की बोतल में भर दीजिए। इस मंजन को दांतों पर रोज मलने से मसूढ़ों की सूजन तथा घाव ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन होठों के आसपास व ठोड़ी पर मिट्टी की पट्टी लगाने से मसूढ़ों की सूजन तथा घाव में बहुत अधिक आराम मिलता है।

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