योग से एसिडिटी का समाधान
गैस या एसिडिटी की समस्या से बहुत से लोग परेशान रहते हैं। इसका कारण है अनियमित भोजन शैली, तेल और मसालेदार भोजना का अति सेवन करना तथा किसी भी प्रकार का नशा करना आदि। अगर गैस या एसिडिटी है तो कभी भी व्यक्ति ब्लडप्रेशर या शुगर की बीमारी से ग्रस्त हो सकता है।
बार-बार गुदा मार्ग से अपानवायु उत्सर्जित होना, पेट से बदबूदार गैस निकालना, डकारें अधिक लेना तथा पेट में गुड़गुड़ाहट होना, इसके मुख्य लक्षण हैं। जिनकी पाचन शक्ति अक्सर खराब रहती है और जो प्राय: कब्ज के शिकार रहते हैं, उन लोगों को गैस की समस्या हो जाती है।
गैसे की समस्या से रक्त संचार व आंतों की गतिविधि पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके कारण ब्लडप्रेश या आंतों के रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
कहते हैं सभी बीमारियों की जड़ पेट में है। यदि पाचन संस्थान के किसी भी अंग में विकार आ जाएं तो पेट से संबंधित सभी बीमारियां हो जाती हैं। यदि आपको पेट के भारीपन, पेट के फूलने और अत्यधिक हवा भर जाने का एहसास होता या कई बार खट्टी डकारें, छाती में बेचैनी, दिल की धड़कन तेज होना, पेट में तेज दर्द, पेशाब की रुकावट, शरीर में गर्मी का अनुभव होना आदि शिकायतें हैं हैं तो आप सतर्क हो जाएं।
योग आसन से निदान :
यह योगाभ्यास नियमित रूप से करने से गैस, एसिडिटी संबंधि समस्या का निदान कर पाचन संस्थान संबंधित रोगों का जड़ से निकाल देते हैं।
ये आसन नियमित करें : वज्रासन, उत्तानपादासन, सर्वागासन, हलासन, मत्स्यासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, शलभासन, मयूरासन, भस्त्रिका प्राणायाम, सूर्यभेदी प्राणायाम, अग्निसार क्रिया, उदर शक्ति विकासक सूक्ष्म व्यायाम आदि प्रमुख हैं।
सभी आसनों को नियमित करने के लाभ रक्त शुद्धि, मस्तिष्क एवं हृदय, फेफड़ों की पुष्टि के लिए उपयोगी है। कब्ज, गैस, अजीर्ण, बवासीर तथा पेट के अन्य रोगों का नाश। शरीर का मोटापा भी घटेगा। अग्निसार क्रिया पाचनतंत्र की शक्ति बढ़ाने में लाभदायक है। पुरानी से पुरानी कब्ज और गैस संबंधित रोग यह क्रिया जड़ से मिटा देती है। बढ़ा हुआ पेट भी इससे कम हो जाता है।
नोट : जिस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की गंभीर शारीरिक समस्या हो वे किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर ही उपरोक्त आसन करें।