aaj ki kundali

kundali ka dasavaan bhaav - kundali dekhane ke niyam

कुंडली का दसवां भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundali ka dasavaan bhaav – kundali dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के दसवें भाव को वैदिक ज्योतिष में कर्म भाव कहा जाता है, तथा कुंडली का यह भाव मुख्य रूप से जातक के व्यवसाय के साथ जुड़े उतार-चढ़ाव तथा सफलता-असफलता को दर्शाता है। कुंडली में दसवें भाव के बलवान होने से तथा इस भाव पर एक या एक से अधिक शुभग्रहों का प्रभाव होने से […]

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kundalee ka gyaaravaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का ग्यारहवें भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का ग्यारवाँ भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka gyaaravaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के ग्यारहवें भाव को वैदिक ज्योतिष में लाभ भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह भाव मुख्य तौर पर जातक के जीवन में होने वाले वित्तिय तथा अन्य लाभों के बारे में बताता है। ग्यारहवें भाव के द्वारा बताए जाने वाले लाभ जातक द्वारा उसकी अपनी मेहनत से कमाए पैसे के बारे में

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kundalee ka aathavaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का आठवां भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka aathavaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के आठवें भाव को वैदिक ज्योतिष में रंध्र भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव मुख्य तौर पर जातक की आयु के बारे में बताता है। किसी कुंडली में आठवें भाव तथा लग्न भाव अर्थात पहले घर के बलवान होने पर या इन दोनों घरों केएक या

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kundalee ka chhatha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का छठा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chhatha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के छठे भाव को वैदिक ज्योतिष में अरि अथवा शत्रु भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव के अध्ययन से यह पता चल सकता है कि जातक अपने जीवन काल में किस प्रकार के शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों का सामना करेगा तथा जातक के शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी किस हद तक उसे परेशान कर

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kundalee ka paanchava bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का पांचवां भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का पाँचवा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka paanchava bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के पाँचवे भाव को वैदिक ज्योतिष में संतान भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का

कुंडली का पांचवां भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का पाँचवा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka paanchava bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din Read More »

kundalee ka doosara bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का दूसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka doosara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के दूसरे भाव को वैदिक ज्योतिष में धन स्थान कहा जाता है तथा किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस भाव का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इसलिए किसी कुंडली को देखते समय इस भाव का अध्ययन बड़े ध्यान से करना चाहिए। कुंडली का दूसरा भाव कुंडली धारक के द्वारा अपने जीवन काल

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kundalee ka teesara bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का तीसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka teesara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के तीसरे भाव को वैदिक ज्योतिष में बंधु भाव कहा जाता है, कुंडली का तीसरा भाव कुंडलीधारक के पराकर्म को भी दर्शाता है तथा इसिलिए कुंडली के इस भाव को पराक्रम भाव भी कहा जाताहै। कुंडली के इस भाव से जातक के अपने भाई-बंधुओं, दोस्तों, सहकर्मियों तथा पड़ोसियों के साथ संबधों का पता चलता

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purv bharat ki kundali

पूर्व भारत की कुंडली – बारहवां दिन – Day 12 – 21 Din me kundli padhna sikhe – purv bharat ki kundali – Barahavaan Din

देश के पूर्वी भागों में प्रचलित कुंडली में उत्तर व दक्षिणी भारत दोनों का स्वरुप देखने को मिलता है, लेकिन कुंडली का प्रारुप अलग ही होता है। दक्षिण भारतीय पद्धति की तरह इसमें राशियाँ स्थिर होती हैं लेकिन राशियों को क्रम से उत्तर भारतीय पद्धति के अनुसार बाईं ओर से लिखा जाता है। भाव योजना

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kundalee ke liye aavashyak kaarak

कुंडली के लिये आवश्यक कारक – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ke liye aavashyak kaarak – Gyarahavaan Din

कुंडली को बनाने के लिये जो मुख्य कारक सामने लाये जाते है उनके अनुसार पहला जन्म का समय, दूसरा जन्म की तारीख, तीसरा जन्म का महिना चौथा जन्म की साल और पांचवा जन्म का स्थान, इन पांच कारकों को शुद्ध देखना जरूरी होता है, इन पांच कारकों में एक के भी अशुद्ध होने से या

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