यदि बड़े मकान के छोटे से भाग में वास्तुदोष होने से पूरा मकान ही वास्तुदोष युक्त हो जाता है, तो क्या ऐसे में दोषपूर्ण भाग की परिवार के ही किसी दूसरे सदस्य के नाम से रजिस्ट्री करने से क्या वह दोष समाप्त हो सकता है?
उत्तर : कई मकानों के थोड़े से भाग में वास्तुदोष इस प्रकार होते है कि उस भाग को अलग कर दिया जाए तो बचा हुआ मुख्य भाग पूर्णतः वास्तुनुकूल बन जाता है। ऐसे मामलों में कई वास्तुविद् इस तरह की सलाह देते है कि आप इस भाग को अलग न करे यदि इस भाग की रजिस्ट्री या लिखा-पढ़ी दूसरे के नाम कर दें तो यह दोष समाप्त हो जाएगा जो कि पूर्णतः अवैज्ञानिक है। सम्पत्ति का किसी व्यक्ति के नाम से होना या करना यह सब हमारी अपनी सामाजिक व्यवस्था है। सूर्य की किरणों एवं पृथ्वी पर बहने वाली चुबंकीय धाराओं को इन बातों से कोई मतलब नहीं होता। वास्तुशास्त्र के अनुसार एक चारदीवार के अंदर का स्थान एक वास्तु कहलाता है और दूसरी चारदीवारी का स्थान दूसरा वास्तु कहलाता है। अतः भवन के दोषपूर्ण भाग को दीवार बनाकर ही अलग करना पड़ता है जिससे यह वास्तु दो भागों में विभाजित हो जाता है| और दोनों भाग अपनी-अपनी वास्तु संरचना अनुरूप शुभ-अशुभ परिणाम देने लगते है।
प्रश्न : क्या वास्तुदोष ढूँढने का कोई यंत्र बाजार में उपलब्ध है ?
उत्तर : नहीं! जिन ऋषि-मुनियों ने वास्तुशास्त्र की खोज की उन्होंने तो कोई ऐसा यंत्र नहीं बनाया या भारत व चीन के किसी भी पुराने ग्रन्थ में इस प्रकार के यंत्र का वर्णन नहीं मिलता है। कुछ वास्तुशास्त्री लोगों को लूटने के लिए पर्यावरण एवं मानवीय तंत्र की ऊर्जा को मापने के लिए प्रयोग में आने वाला ‘लेकर एंटिना’ नामक यंत्र का उपयोग वास्तुदोष ढूँढने में करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
वास्तु गुरु द्वारा वास्तु सम्बन्धी शंकाओं का समाधान – vaastu guru dvaara vaastu sambandhee shankaon ka samaadhaan – सम्पूर्ण वास्तु दोष – sampurna vastu dosh nivaran