कई वास्तुविद् नैऋत्य कोण को ऊँचा करने के लिए एंटीना लगाने की सलाह देते है, क्या यह कारगर उपाय है?
उत्तर : वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार उत्तर व पूर्व की तुलना दक्षिण व पश्चिम को ऊँचा रखना चाहिए क्योंकि वास्तु एक विज्ञान है और इसमें सूर्य का बहुत महत्त्व है, सूर्य की प्रातःकालीन किरणें सकारात्मक एवं जीवनदायी होती है एवं दोपहर बाद की किरणें नकारात्मक होकर हानिकारक होती है। सूर्य की प्रातःकालीन किरणों से मिलने वाली ऊर्जा का पूर्ण लाभ लेने के लिए भवन के
उत्तर-पूर्व के भाग को नीचा रखा जाता है और दोपहर के बाद सूर्य से मिलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए दक्षिण व पश्चिम के भाग को ऊँचा रखा जाता है। अतः एंटीना लगाकर इस दोष को ठीक करना सम्भव नहीं है। यह दोष भवन की बनावट को ही ठीक करके दूर किया जा सकता है।
प्रश्न : कई वास्तुविद् नैऋत्य कोण को भारी करने के लिए वजन रखने की सलाह देते हैं, हमारे पड़ोसी ने किसी की सलाह पर 50-50 किलोग्राम के दस बाँट बनवाकर प्लाॅट के नैऋत्य कोण में गाड़े हैं इसका क्या लाभ है?
उत्तर : किसी भी भवन के नैऋत्य कोण को भारी करने के लिए कई वास्तुविद् इस तरह के वजन रखवाने की सलाह देते हैं जो कि पूर्णतः अवैज्ञानिक है। वास्तु नियमों के अनुसार उत्तर पूर्व की तुलना में दक्षिण पश्चिम को भारी रखना चाहिए। उसका वास्तुनुकूल सही तरीका यह है कि दक्षिण पश्चिम की कम्पाउण्ड वाल व भवन की दीवार को उत्तर पूर्व की दीवारों की तुलना में थोड़ा मोटा बनाया जाए।