श्री गणेश
जी की मूर्ति की तरह ही स्वस्तिक यंत्र भी सौ हजार बोविस धनात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम होता है। उसके इस गुण के
कारण कई वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। गुरु पुष्यामृत योग, रविपुष्य योग, दीवाली, गणेश चतुर्थी, नव संवत्सरारंभ, नव वर्ष के दिन,
बुधवार को अथवा अपने मन को अच्छी लगने वाली किसी शुभ तिथि या पर्व आदि के दिन इसे लगाया जा सकता है। प्लास्टिक,
कांच, लोहे लकड़ी, स्टील या टिन का स्वस्तिक प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। स्वस्तिक का उपयोग कोई भी कर सकता है।
इसे प्रतीक के रूप में अंगूठी और लाॅकेट में धारण कर लोग स्वयं को ऊर्जावान महसूस करते हैं। गृह-निर्माण आदि के समय निर्माण
कार्य जनित कई प्रकार के वास्तु दोष रह जाना आम बात होती है। निर्माण के बाद हर जगह सुधार, कार्य, मरम्मत,
तोड़फोड़, काट-छांट के जरिए वास्तु दोष हटाना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में , स्वस्तिक आदि शुभ
चिह्नों आदि के उपयोग से वास्तु दोषों का शमन होता है।इसी तरह बिना तोड़-फोड़ किए धर्म, ज्योतिष और वास्तु से
संबंधित कुछ विशेष प्रकार के मंत्र युक्त यंत्र वास्तु दोष मिटाने में सहायक होते हैं इनमें कुछ यंत्रों का उल्लेख यहां प्रस्तुत है।
वास्तुदेव का पूजन 2 – vaastudev ka poojan 2 – सम्पूर्ण वास्तु दोष – sampurna vastu dosh nivaran