vaastu purush ke dosh

वास्तु पुरुष के दोष – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaastu purush ke dosh – vedic vastu shastra

यह एक कठिन विद्या है, जिसमें भौतिक निर्माण कृत्य में कब कौन देवता क्रोधित हो जाए व क्या परिणाम देंगे, इनका ज्ञान आवश्यक है! कुछ सामानय गृह दोष व उनके परिणाम बताए जा रहे हैं, जो जनोपयोगी हैं! सामान्य जन इनका बिना किसी विशेषज्ञ की मदद से भी उपयोग कर सकते हैं! देवतागण यदि रुष्ट हों तो प्रत्येक देवता अपनी प्रकृति के अनुसार फल देते हैं! इक्यासी व चौसठ पद वाली वास्तु में चारों दीवारों पर कुल बत्तीस द्वारों की कल्पना की गई है इनमें से प्रत्येक भाग (द्वार) पर विभिन्न फल प्राप्त होते हैं! पूर्वी दीवार पर अग्नि से अंतरिक्ष तक द्वार होवें तो क्रमश: अग्निभय कन्या जन्म, धन, राजा की प्रसन्नता, क्रोधीपन, झूंठ बोलना, क्रूरपन व चौर्यवृत्ति यह फल होते हैं! दक्षिण दीवार या पूर्व के अनिल से शुरू करके दक्षिणी दीवार या सीमा पर जो आठ देवता स्थित हैं, वे क्रम से हर द्वार पर अल्प पुत्रता, दासपन, नीचपन, भोजन, पान और पुत्रों की वृद्धि, कृतघ्न, धनहीनता, पुत्र और बल का नाश होता है!

इन नियमों का उल्लंघन जहां कहीं भी हुआ है, परिणाम अच्छे नहीं आए हैं! अक्टूबर 1995 में चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज आबू रोड के पदाधिकारियों के साथ मैंने पूरे औद्योगिक क्षेत्र का सर्वेक्षण किया! दक्षिण दिशा में बढ़ाव एक ऐसी समस्या है जो कि पूरे औद्योगिक क्षेत्र में समान रूप से विद्यमान है इसका कारण रेलवे लाइन के समानान्तर प्लाट्स का आवंटन किया जाना है! दूसरे पहाड़ के दक्षिण दिशा (ढलान) में रीको द्वारा आवंटन किए जाने के कारण काफी प्लाटों में वास्तुपुरुष का सिर उठा हुआ है! फलत: काफी बड़ी संख्या में कारखाने बंद हो गए या घाटे में हैं! ऐसे कई सामान्य दोष देश के अन्य नगरों में भी देखे हैं!

वास्तु पुरुष के दोष – vaastu purush ke dosh – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra

 

Tags: , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top