जब किई व्यक्ति की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में गुलिक स्थित होता है तब व्यक्ति देखने में भद्दा अथवा ज्यादा सुंदर नहीं होगा। ऎसा व्यक्ति दीन व दुखी रहता है। स्वार्थी होता है और धनाभाव में भी रहता है। इसे किसी की कोई लाज नहीं होती है और ना ही इसे किसी से लड़ने में ही कोई हिचक अथवा झिझक ही होती है। ऎसे व्यक्ति की वाणी कठोर होती है और यह अपने परिवार के लिए भी अनुकूल नहीं होता है। यह अपने किए वादों पर कभी कायम नहीं रहता है। यह बेवकूफी भरी बातें ज्यादा करता है और यौन सुख में लिप्त रहता है। ऎसे व्यक्ति को आंखों से संबंधित रोग परेशान करते हैं।
दूसरे भाव में गुलिक के प्रभावस्वरुप व्यक्ति का धन उसके नौकर द्वारा अथवा किसी निचले वर्ग के व्यक्ति द्वारा चुराए जाने की संभावना भी बनती है। ऎसा भी देखा गया है कि जिन चीजों को अत्यधिक संभाल कर रखा जाता है उन्हें अकसर जंग लग जाता है अथवा किन्हीं अन्य कारणों से वह खराब हो जाती हैं।