1. प्रश्न के समय मेष लग्न आए तो पितृ दोस समझाना चाहिए इस दोष का बुरा परिणाम गर्मी, तृष्णा, चिंता, बुखार, वमन, और शर में पीड़ा होती है। इसकी शांति हेतु ब्राह्मिण भोजन, तर्पण, पिंडदान व पांच दिनो तक एक एक घड़ा जल पीपल कि जड़ो में डाले और पीपल कि पूजा करे इससे पितृ-दोष कि शांति होगी व उपरोक्त दोष शांत हो जाते है।
2. प्रश्न के समय वृषभ लग्न आए तो गोत्र का दोष जाने और इस दोष से शरीर में ज्वर, ताप, तृष्णा, शक्ती का नाश, कान और नेत्र में विकार होते है, इसकी शांति हेतु चंडी पाठ, नेवेध्य और देवी के लिए क्षीर का हवन कारने से पीडाए दूर होगी।
3. मिथुन लग्न आये तो देवी का दोष समझना चाहिए इस दोष में भ्रम, कमर दर्द शरीर में वाइरल फेवर कि तरह का दर्द होता है इसकी शांति के लिए पिंड दान गुग्गल से 108 आहुति देवे शांति मिलेगी।
4. प्रश्न समय यदि कर्क लग्न आये तो भयंकर शाकिनी दोष इसमें अजीरन, वायु और मुख तथा शिर कि पीड़ा होती है उसकी शांति हेतु दूध और उर्द का नैवेध्ये करना और घी का दीपक करना उससे दोषों का नाश होता है।
5. यदि प्रश्न के समय सिंह लग्न का उदय हो प्रेत दोष समझे इससे अग्निभय, उलटी व दस्त हो जाते है इसकी शांति के लिए शास्त्रों में पुत्तल विधान करके ब्राह्मणों को भोजन, पिंड दान और तिलों से तर्पण करके दोष कि शांति करे।
6. यदि कन्या लग्न आये ती पिछले जन्मो के कर्मो का दोष समझना चाहिए इसमें पीड़ित व्यक्ति बकवास, मूर्छा, भ्रम, ताप, अज्ञात भय, दुर्भाग्य होने का भय, मिस भाग्य, अज्ञात भय, विरोधी cipetry भय, मृत्यु का भय, इन के डर दोषों कि शांति के लिए ओम हों जूं सः लघु मृत्युंजय का जप और हवन करना चाहिए।
7. तुला लग्न हों तो क्षेत्रपाल का दोष जानना चाहए इससे ताप, पीड़ा आँखों लालीपन, इसकी शांति हेतू ब्राह्मणों को दान करना चाहिए घी, लालपुष्प, सिदूर, तिल, उर्द और लोहा इत्यादि।
8. वृश्चिक लग्न हों तो बैताल का दोष समझाना चाहिए इसके लक्षण बकवास, भ्रम, और नेत्रो कि पीड़ा होती है इसकी शांति के लिए कनेर के पुष्प और गुग्गल सहित घी कि आहुति देवे।
9. धनु लग्न में महामारी का दोष जाने इसमें माथे में पीड़ा, ज्वर, शरीर पीड़ा सताती है शांति हेतु चंडी या क्षेत्रपाल कि पूजा करे।
10. मकर लग्न में मार्गनि, या क्षेत्रपाल का दोष होता है इसमें आंख में पीड़ा, ताप और शरीर टूटता है शांति हेतु स्नान करके दर्भ से बनाये पुतले कि लाल पुष्प से पूजा करके रुद्राभिषेक करने से दोष का नाश होता है।
11. कुम्भ लग्न आये तो पूर्वज या गोत्र देवी का दोष जाने उससे ताप उद्वेग, शोक, अतिषर वगेरह होता है। इसकी शांति के लिए पीपल में पानी डालना, पिंड दान करना, तिल तर्पण और ब्राह्मण भोजन करना चाहिए।
12. मीन लग्न में कर्कशा, शाकिनी का दोष जाने, उससे ह्रदय, पेट में पीड़ा, दह तथा ज्वर होता है, इसकी शांति के लिए ब्रह्म भोज तथा गुग्गल कि 108 आहुति देना चाहिए।
13. यदि 12 वे 8 वे भाव में सूर्य हों तो देव, चन्द्रमा हों तो देवी का दोष, शुक्र हों तो जल देवी का दोष, गुरु हों तो पितृ दोष, मंगल हों तो डाकिनी या तन्त्र विध्या से किसी के द्वारा कुछ किया गया हों इस प्रकार समझे, बुद्ध हों तो कुल के देवता, शनि होतो कुल देवी का दोष और राहू हों तो प्रेत दोष होता है इन सभी दोषों की शांति हेतु अपने ईस्ट मन्त्र का जाप करे या लघु मृत्युंजय मन्त्र का जाप करना चाहिए।