vaastu shaastr ka arth

वास्तु शास्त्र का अर्थ – घर का वास्तु – vaastu shaastr ka arth – ghar ka vastu

वास्तु शास्त्र का अर्थ वास्तु
शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो हमारे घर और कार्यस्थल पर समृद्धि, मानसिक शांति, खुशी और सामंजस्य दिलाने में मदद करता है. किसी जगह का वास्तु उस जगह के चारों ओर उपस्थित विभिन्न ऊर्जा को इस तरीके से कवच के रूप में पिरोता है कि व्यक्ति को मानसिक शांति और सद्भाव प्राप्त होता है. सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ पंचतत्व यानि पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से मिलकर बना होता है जिसे क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा भी कहा जाता है। भगवान भूमि, गगन, वायु, अग्नि और जल इन पंचमहाभूतों के महान कारक है। ये सब एक-दूसरे के पूरक घटक बनकर आपस में जुड़े हैं इनका संतुलन बिगड़ जाने पर भिन्न-भिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न होने लग जाते हैं इन पंचमहाभूतों से एक सामंजस्य स्थापित करना ही वास्तुशास्त्र की विशेषता है। वास्तुशास्त्र वो है जो इन सभी तत्वों के बीच सामंजस्य बिठाकर हर तत्व को सही जगह पर लेकर मानव जीवन की परेशानियों और दुखों को समाप्त करता है। माना जाता है की घर की खुशियों की कुंजी वास्तु में छिपी होती है। वास्तु का सही अर्थ है “चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन”|”

वास्तु शास्त्र का अर्थ – vaastu shaastr ka arth – घर का वास्तु – ghar ka vastu

 

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