दशम भाव में गुलिक के होने के फल को अच्छा बताया गया है। इसके प्रभावस्वरुप व्यक्ति पुत्र संतान प्राप्त करता है। सदा प्रसन्न रहता है, ऎसा व्यक्ति बहुत सी चीजों का उपभोग करते हुए आनंद लेता है। ऎसे व्यक्ति के भीतर बहुत ही श्रद्धा भाव होता है और ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाला होता है। ऎसा व्यक्ति योग साधना व मेडिटेशन में भी पूर्ण विश्वास रखता है और धर्म में पूर्ण आस्था रखते हुए उसकी शरण में जाता है।
दसवें भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति के भीतर एक बड़ी खूबी यह होती है कि यह योग साधना करता है, भक्ति करता है और धार्मिक कार्यों में भाग लेता है। यह दर्शन शास्त्र का गहन अध्ययन करता है और इस कारण दर्शन के संदर्भ में इसके अपने कुछ मूल विचार होते हैं जिनके कारण अन्य लोग इन्हें नास्तिक समझने की भूल करते हैं।